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चंद्ररति अप्सरा साधना
चंद्ररति अप्सरा साधना
चंद्ररति अप्सरा साधना

चंद्ररति अप्सरा साधना

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Product Description

फल-सिद्धि

  • आकर्षण, सौंदर्य, सम्मोहन, तेज, और अप्सरा-संवाद की सिद्धि।
  • मनोबल, ध्यानशक्ति, और दिव्य दृश्य देखने की क्षमता का विकास।
  • स्वप्न में चंद्ररति का प्रत्यक्ष मार्गदर्शन।
  • साधक के चारों ओर रजत आभा (चंद्र-तेज) का प्रभाव होता है।

सिद्धि के तीन चरण

(१) दर्शन–सिद्धि

पहले चरण में साधक को रात्रि में या ध्यानावस्था में चंद्ररति के प्रकाश–रूप का दर्शन होता है।

  • शरीर से चांदी सी आभा निकलती है।
  • कमरे या साधना स्थान में कमल, चंदन, कस्तूरी की सुगंध फैलती है।
  • जल, चंद्रमा, या आईने में अप्सरा की छवि दिखाई देती है।

यह संकेत है कि साधना स्वीकार हो चुकी है।




(२) संवाद–सिद्धि

इस स्तर पर अप्सरा मन या स्वप्न के माध्यम से संवाद करती है।

  • वह साधक को संकेत, वाक्य या मार्गदर्शन देती है।
  • ध्यानावस्था में वह संगीत या वीणा की ध्वनि के रूप में उपस्थित होती है।
  • यह काल “प्रेम–आध्यात्मिक संगम” कहलाता है —
  • क्योंकि इस अवस्था में साधक और शक्ति के बीच गहरी आत्मीयता बनती है।



(३) संयोग–सिद्धि (पूर्ण सिद्धि)

यह अंतिम और दुर्लभ अवस्था है।

यहाँ अप्सरा साधक की आत्मिक संगिनी या दिव्य पत्नी (योगिनी–स्वरूपा) बन जाती है।

⚡ इस अवस्था में चंद्ररति साधक के चारों ओर स्थायी रूप से रहती है।

वह उसके कार्यों में, साधना में, और जीवन के निर्णयों में प्रेरणा देती है।

साधक को “सर्व-सिद्धि योगिनी–संयोग” कहा जाता है।

यह कोई भौतिक विवाह नहीं, बल्कि आत्मिक संघ (Spiritual Union) होता है —

जहाँ साधक की चेतना और अप्सरा की ऊर्जा एक हो जाती है।

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