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अहि यक्षिणी साधना

अहि यक्षिणी साधना

299
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इसके स्मरण मात्र से साधक शीघ्र ही राजा के समान हो जाता है। कवच का पाठ-कर्त्ता पाँच हजार वर्षों तक भूमि पर जीवित रहता है, और अवश्य ही वेदों तथा अन्य सभी शास्त्रों का ज्ञाता हो जाता है। अरण्य (वन, जंगल) में इस महा-कवच का पाठ करने से सिद्धि मिलती है। कुल-विद्या यक्षिणी स्वयं आकर अणिमा, लघिमा, प्राप्ति आदि सभी सिद्धियाँ और सुख देती है। कवच (लिखकर) धारण करके तथा पाठ करके रात्रि में निर्जन वन के भीतर बैठकर (अभीष्ट) यक्षिणि के मन्त्र का १ लाख जप करने से इष्ट-सिद्धि होती है।

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