साधक को पूर्ण आशीर्वाद प्रदान करती हुई उसके पूरे शरीर में समाहित हो जाती है तथा सभी दृष्टियों से उसकी रक्षा करती है। यही नहीं, अपितु ऐसा साधक तन्त्र को क्षेत्र में अनायास ही समस्त प्रकार की सिद्धियां स्वतः प्राप्त कर लेता है। ऐसी विधि प्राप्त करने वाला व्यक्ति कृत्या प्रयोग से भी नहीं डरता और जीवन में अदितीय यश और धन प्राप्त करता है। ऐसा संसार में कोई भोग नहीं है, जो उसे प्राप्त न हो। सभी प्रकार की तांत्रिक सिद्धियाँ उसे स्वयं प्राप्त हो जाती हैं ।