एेसी मान्यता है कि, कुलदेवता और देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई खास अंतर नहीं समझ में आता लेकिन उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जा का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है। इससे उन्नति रुकने लगती है।समय क्रम में परिवारों के एक दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित होने, धर्म परिवर्तन करने, आक्रान्ताओं के भय से विस्थापित होने, जानकार व्यक्तियों के असमय मृत होने, संस्कारों के क्षय होने, विजातीयता पनपने, इनके पीछे के कारण को न समझ पाने आदि के कारण बहुत से परिवार अपने कुलदेवता और देवी को भूल गए। लोगों को यह मालूम ही नहीं रहा उनके कुलदेवता और देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जानी चाहिए। शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि, कुलदेवता और देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से सबसे पहले व्यक्ति की रक्षा करते हैं। इसलिए ईष्टदेवी-देवता के साथ कुलदेवी और देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।