हवन के पश्चात् यंत्र को अपने घर के मंदिर या तिजोरी में लाल वस्त्र में बांधकर रख दें। यह यंत्र एक वर्ष तक वहीं रखें और बाकि बची पूजा सामग्री को नदी या किसी पीपल के नीचे विसर्जित कर दें। इस तरह करने से यह साधना पूर्ण मानी जाती है। साधना के संकल्प सहित कार्य भविष्य में शीघ्र ही पुरे होते है, साधक को धन, धान्य, भूमि, वाहन, लक्ष्मी आदि प्राप्त होने लगती है, धन से जुडी समस्या उसकी दूर हो जाती है और उसके जीवन की दरिद्रता पूर्णत: समाप्त हो जाती है।