मनुष्य रूप में बेताल प्रकट होता है और जीवन भर के दास की तरह साधक के सारे कार्यों को संपादित करता है।साधक के साथ सदैव बना रहता है और प्रतिपल उसकी रक्षा भी करता है। प्रकृति अस्त्र-शस्त्र उस मनुष्य का कुछ भी अहित नहीं कर सकते हैं। ना तो उसके जीवन में दुर्घटना होती है और ना ही उसकी अकाल मृत्यु संभव है। ऐसे साधक के जीवन में संकटों का नामोनिशान नहीं रहता है। वह वेताल को आदेश देकर क्षण भर में ही अपने समस्त शत्रुओं को परास्त करने का साहस रखता है। उसका जीवन कहते हैं निष्कंटक और निर्भय होता है। यहां तक कि जिन्हें बेताल की सिद्धि हो जाती है वह किसी और के विषय में यानी भविष्य में जो कुछ भी उसके साथ हो सकता है, उसका तत्काल और प्रमाणिक उत्तर देने से वह भविष्य दृष्टा बन जाता है और वह तत्काल किसी भी व्यक्ति का भविष्य बताने में सक्षम माना जाता है। इतना ही नहीं बेताल की संपूर्ण सिद्धि हो जाने पर वह बेताल के कंधों पर बैठकर के अदृश्य तक हो सकता है। इतना ही नहीं वह एक स्थान से दूसरे स्थान में क्षण भर में आ और जा सकता है