चंद्र ग्रहण पर इस दौरान केवल देवी की छवि को ध्यान करते हुये जाप करना है जिस से वह प्रसन्न होकर साक्षात दर्शन देती हैं और साधक को वचना देकर किसी भी रूप में सिद्ध हो जाती हैं यदि वे पत्नी या प्रेमिका रूप में सिद्ध होती हैं तो साधक की भैरवी बनकर तंत्र साधना सिद्धि सिखाती हैं और साधक साक्षात भैरव समान सिद्धिवान बना देती हैं । माँ के रूप में भोजन और ज्ञान प्रदान करती हैं बहन के रूप में सिद्ध होकर देवीय कन्या सेविका रूप में प्रदान करती हैं ।